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<poem>
याद रहेगा तेरा आना
चाए पीना दावत खाना

आज यहाँ तेरी महफ़िल में
कविता सुनना और सुनाना

ताली तेरे हाथों वाली
मेरी खातिर तो हैं दाना

तेरा दिल कितना कोमल है
तुझसे मिलकर हमने जाना

तुझसे मिलना है कुछ ऐसा
जैसे कोई दौलत पाना
</poem>
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