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वहाँ रंगून में आया था समझ में समझा कि देवता भी थे बेचारे ग़रीबों के उतने ही बड़े दुश्मन थे जितना ईश्वरबेचारे ग़रीबों का कि ईश्वर । सफ़ेद ह्वेलों की तरह थे पसरे हुए खड़िया के देव गण, गेहूँ की बालियाँ जैसे सुनहरे देवता, जन्म लेने के अपराध में कुंडली मारे नाग देवता, खोखले पारलौकिक जीवन के कॉकटेल में ठहाके लगाते भव्य-नग्न बुद्धजैसे दर्दनाक सूली पर ईसामसीह, सब कुछ के लिए तैयार हैं सभी, अपना स्वर्ग हम पर लादने, सभी घावों या पिस्तौल के साथ भक्ति ख़रीदने या हमारा खून जलाने,मनुष्य के खूंखार देवताअपनी कायरता छिपाने के लिए,
'''मूल स्पानी भाषा से अनुवाद : प्रभाती नौटियाल'''
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