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<poem>
सब ठीक-ठाक है
अभी-अभी
साफ स्कूल ड्रेस में
उनकी ही उम्र का लड़का मेरे बेटे-बेटी को
ले गया है स्कूल

मेरे मां-बाप वृद्धाश्रम में ख़ुश हैं
मैं भाइयों से अलग हो चुका हूँ
मेरी पत्नी टीवी में धारावाहिक देखती है
घर में शान्ति है चारों तरफ
आप सोच सकते हैं -
सब ठीक-ठाक है

घर में पूजा का एक कमरा है
अनेक आराध्य देवी-देवता हैं
बहुत दिनों से पूजा-पाठ नहीं हुआ है
कह सकते हैं -
सब ठीक-ठाक है

मेरे दिल को कुछ भी ख़राब नहीं करता है
मैं दूसरों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता हूँ
ऐसे झमेलों से ख़ुद को दूर ही रखता हूँ
अनावश्यक मैं अपना सिर नहीं दुखाता हूँ
हाँ तो
सब ठीक-ठाक है

मैं अपनी ही राह पर चलता हूँ
सबसे मिलने का अभिनय करता हूँ
खुद को झंझटों से बचाता हूँ
इसलिए
सब ठीक-ठाक है

मैं
अच्छा दिखता हूँ
अच्छा पहनता हूँ
अच्छा खाता हूँ
वाकई, क्या सब ठीक-ठाक ही है?
</poem>
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