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चल गई (कविता) / शैल चतुर्वेदी

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आप ही की तरह श्रीमान हूँ
मगर अपना अपनी आंख से
बहुत परेशान हूँ
हमें है याद
प्रिसिपल प्रिंसिपल ने बुलाया
लंबा-चौड़ा लेक्चर पिलाया
इंटरव्यूह में, खड़े थे क्यू में
एक लड़की था थी सामने अड़ी
अचानक मुड़ी
सिर पर पांव रखकर भागे
लोगबाग लोग-बाग पीछे, हम आगे
घबराहट में घुस गये एक घर में
भयंकर पीड़ा था थी सिर में
बुरी तरह हांफ रहे थे
अस्पताल में?
उन सबके जाते ही आया बार्ड वार्ड-बॉय
देने लगा अपनी राय
तब एक दिन भगवान से मिलकेमिल के
धड़कता दिल ले