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'''ॐ श्री परमात्मने नमः''' <br><br>
'''मुंडकोपनिषद'''<br>
'''शान्ति पाठ'''<br>
हे देव गण !कल्याण मय हम वचन कानों से सुनें,<br>
कल्याण ही नेत्रों से देखें, सुदृढ़ अंग बली बनें।<br>
आराधना स्तुति प्रभो की हम सदा करते रहें,<br>
मम आयु देवों के काम आए, हम नमन करते रहें।<br>
हे इन्द्र !मम कल्याण को , कल्याण का पोषण करें,<br>
हे विश्व वेदाः पूषा श्रीमय ज्ञान संवर्धन करें।<br>
हे बृहस्पति ! अरिष्ट नेमिः स्वस्ति कारक आप हैं,<br>
सब त्रिविध ताप हों शांत जग के, देते जो संताप हैं।<br><br>
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