भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम सखा 'श्याम' }} <Poem> उसको अगर परखा नहीं होता सख...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=श्याम सखा 'श्याम'
}}
<Poem>
उसको अगर परखा नहीं होता सखा
घर आपका टूटा नहीं होता नहीं सखा

मैने तुझे देखा नहीं होता सखा
फिर चाँद का धोखा नहीं होता सखा

हर रोज ही तो है सफर करता मगर
सूरज कभी बूढ़ा नहीं होता सखा

इजहार है इक दोस्ताना प्यार तो
इसका कभी सौदा नहीं होता सखा

उगने की खातिर धूप भी है लाजमी
बरगद तले पौधा नहीं होता सखा
</poem>