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बातें / नागार्जुन

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बातें –<brPoem>बातें–हँसी में धुली हुईं<br>सौजन्य चंदन में बसी हुई<br>बातें –<br>बातें–चितवन में घुली हुईं<br>व्यंग्य -बंधन में कसी हुईं<br>बातें –<br>बातें–उसाँस में झुलसीं<br>रोष की आँच में तली हुईं<br>बातें –<br>बातें–चुहल में हुलसीं<br>नेह–साँचे में ढली हुईं<br>बातें –<br>बातें–विष की फुहार–सी<br>बातें –<br>बातें–अमृत की धार–सी <br>बातें –<br>बातें–मौत की काली डोर–सी <br>बातें –<br>बातें–जीवन की दूधिया हिलोर–सी<br>बातें –<br>बातें–अचूक वरदान–सी<br>बातें –<br>बातें–घृणित नाबदान–सी<br>बातें –<br>बातें–फलप्रसू, सुशोभन, फल–सी<br>बातें –<br>बातें–अमंगल विष–गर्भ शूल–सी<br>बातें –<br>बातें–क्य करूँ मैं इनका?<br>मान लूँ कैसे इन्हें तिनका?<br>बातें –<br>बातें–यही अपनी पूँजी¸ पूंजी¸ यही अपने औज़ार<br>यही अपने साधन¸ यही अपने हथियार<br>बातें –<br>बातें–साथ नहीं छोड़ेंगी मेरा<br>बना लूँ वाहन इन्हें घुटन का, घिन का?<br>क्या करूँ मैं इनका?<br>बातें –<br>बातें–साथ नहीं छोड़ेंगी मेरा<br>स्तुति करूँ रात की, जिक्र न करूँ दिन का?<br>क्या करूँ मैं इनका?<br><br/poem>
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