भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=यह जो हरा है / प्रयाग शुक्ल
}}
<Poem>
हँसती हुई लड़की में
दौड़ते हुए लड़के में ।
फूलों में, घास में
झुर्रियों में ।
धूप में । चाँदनी चांदनी में ।
लहरों में, करवटों में--
हवा की ।
बादलों में ।
उछालों में
पर्वतों की ।
दहाड़ में समुद्र की ।
गलियों में । पाँत में पेड़ों की ।
स्त्रियों की आँखों में ।
पाँखों में चिड़ियों की ।
जीवन । जीवन ।
इतना जीवन ।
</poem>