भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
ग़ज़ल गायक मेहदी हसन की आवाज़ में अहमद फ़राज़ की ग़ज़ल-
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ<br>आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ<br>
दुनिया भर में इतनी लोकप्रिय हुई कि एक बार अहमद फ़राज़ ने कहा कि मेहदी साहब ने इस ग़ज़ल को इतनी अच्छी तरह गाया है कि यह उनकी ही ग़ज़ल हो चुकी है.
अहमद फ़राज़ की यह पंक्तियां याद आती हैं जो उनके जाने को अच्छी तरह बयान करती हैं:
क्या ख़बर हमने चाहतों में फ़राज़<br>क्या गंवाया है क्या मिला है मुझे<br>
उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि दुखी लोगों ने मुझे बहुत प्यार दिया. उनका एक मशहूर शेर है:
अब और कितनी मुहब्बतें तुम्हें चाहिए फ़राज़,<br>माओं ने तेरे नाम पे बच्चों के नाम रख लिए. <br>
उन्हें 2004 में पाकिस्तान का सबसे बड़ा सम्मान हिलाले-इम्तियाज़ दिया गया जिसे उन्होंने बाद में विरोध प्रकट करते हुए वापस कर दिया.
अहमद फ़राज़ के कुछ लोकप्रिय अशआरः
#इस से पहले के बे-वफ़ा हो जाएं<br>क्यों न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएं<br>
#दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभानेवाला<br>वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़मानेवाला <br><br>#वक़्त ने वो ख़ाक उड़ाई है के दिल के दश्त से<br>क़ाफ़िले गुज़रे हैं फिर भी नक़्श-ए-पा कोई नहीं<br>
Anonymous user