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घर-दो / श्रीनिवास श्रीकांत

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|रचनाकार=श्रीनिवास श्रीकांत
|संग्रह=घर एक यात्रा है / श्रीनिवास श्रीकांत
}}
<poem>
घर : दो
उम्र भर जिन घरों में रहा हो आदमी
दिक्काल में वे बन जाते हैं