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{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=तुलसी रमण
|संग्रह=ढलान पर आदमी / तुलसी रमण
}}
<poem>
चित्र
सड़क किनारे
ढेर सारे चित्र सजाकर
बैठा है चित्र बेचने वाला
ज्वाला प्रसाद जी आए
राम, कृष्ण और शिव-पार्वती को ले लिया
एन्थनी ने
सूली पर लटके हुए
ईसा को खरीदा
लखन सिंह ने गुरुनानक को ढूंढ निकाला
और बुद्ध को लपेट लिया
गेरुए में लामा जी ने
इस बीच टपक पड़ा एक
गुमनाम आदमी
भगवानों के ढेर को
उलट-पलट कर उसने
हंसते खूबसूरत बच्चों
पेड़ पर तिनका-तिनका
घोसला बुनती चिड़ियों
बर्फ से ढके पहाड़ों और
कुछ `सितारों’ के
चित्र निकाल लिए
देखते ही देखते
ये सारे चित्र बिक गए
</poem>
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|रचनाकार=तुलसी रमण
|संग्रह=ढलान पर आदमी / तुलसी रमण
}}
<poem>
चित्र
सड़क किनारे
ढेर सारे चित्र सजाकर
बैठा है चित्र बेचने वाला
ज्वाला प्रसाद जी आए
राम, कृष्ण और शिव-पार्वती को ले लिया
एन्थनी ने
सूली पर लटके हुए
ईसा को खरीदा
लखन सिंह ने गुरुनानक को ढूंढ निकाला
और बुद्ध को लपेट लिया
गेरुए में लामा जी ने
इस बीच टपक पड़ा एक
गुमनाम आदमी
भगवानों के ढेर को
उलट-पलट कर उसने
हंसते खूबसूरत बच्चों
पेड़ पर तिनका-तिनका
घोसला बुनती चिड़ियों
बर्फ से ढके पहाड़ों और
कुछ `सितारों’ के
चित्र निकाल लिए
देखते ही देखते
ये सारे चित्र बिक गए
</poem>