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भारतेंदु हरिश्चंद्र

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/* प्राकृतिक चित्रण */
भारत भय कंपिथ संसारा।
====प्राकृतिक चित्रण====
प्रकृति चित्रण में भारतेंदु जी को अधिक सफलता नहीं मिली, क्योंकि वे मानव-प्रकृति के शिल्पी थे, बाह्य प्रकृति में उनका मर्मपूर्ण रूपेण नहीं रम पाया। अतः उनके अधिकांश प्रकृति चित्रण में मानव हृदय को आकर्षित करने की शक्ति का अभाव है।