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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=एक और दिन / अवतार एनगिल }} <poem> ...
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{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=एक और दिन / अवतार एनगिल
}}
<poem>
इस देश में पानी के दो धर्म हैं
हिन्दु पानी
मुसलमान पानी
इस मुल्क में
हिन्दु ईश्वर प्रार्थना पर प्रसन्न
मुसलमान ख़ुदा इबादत पर ख़ुश
इस सरज़मीं पर
ज़्यादती और ज़ुल्म
हमारी रगों में बहते हैं
हम सभी
ख़ुद को फराख़-दिल
दूसरों को साम्प्रदायिक कहते हैं
इस धरती पर
इतिहास एक बदबूदार नाली की तरह
हमारी रगों मे बहता है
“यह” भी “वह” भी
हमसे यही कहता है
घृणा को मरने मत दो
पुराने घाव भरने मत दो
यदा-कदा इन्हें कुरेदो
और इनका मवाद
आस-पास की नदियों में बहा दो
ऊपर तक पहुँचना है
तो हिन्दु ईश्वर
और मुसलमान ख़ुदा को
आपस में लड़ा दो
</poem>
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|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=एक और दिन / अवतार एनगिल
}}
<poem>
इस देश में पानी के दो धर्म हैं
हिन्दु पानी
मुसलमान पानी
इस मुल्क में
हिन्दु ईश्वर प्रार्थना पर प्रसन्न
मुसलमान ख़ुदा इबादत पर ख़ुश
इस सरज़मीं पर
ज़्यादती और ज़ुल्म
हमारी रगों में बहते हैं
हम सभी
ख़ुद को फराख़-दिल
दूसरों को साम्प्रदायिक कहते हैं
इस धरती पर
इतिहास एक बदबूदार नाली की तरह
हमारी रगों मे बहता है
“यह” भी “वह” भी
हमसे यही कहता है
घृणा को मरने मत दो
पुराने घाव भरने मत दो
यदा-कदा इन्हें कुरेदो
और इनका मवाद
आस-पास की नदियों में बहा दो
ऊपर तक पहुँचना है
तो हिन्दु ईश्वर
और मुसलमान ख़ुदा को
आपस में लड़ा दो
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