भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेम नारायण 'पंकिल' |संग्रह= }} [[Category:कविता]] <poem> अभि...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रेम नारायण 'पंकिल'
|संग्रह=
}}
[[Category:कविता]]
<poem>
अभिरामा निद्रा की गोदी में सोये तुम कर बन्द नयन।
मैं मुग्ध झुका पलकें सहलाती थी प्रिय तेरे मृदुल चरण।
चूमती बरौंनी चारू चरण थी सजग चुये दृग-नीर नहीं।
प्रियतम सुख से सोयें उनको दे जगा हमारी पीर नहीं ।
था झूल रहा मेरे वक्षस्थल पर कचनार-हार-अनुपम।
मधु-मृदुल-स्वप्न-रति-स्पन्दन से थे सिहर जग गये तुम प्रियतम!
उस अलसाये दृग की भूखी बावरिया बरसाने वाली ।
क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवन-वन के वनमाली ॥78॥
</poem>
Anonymous user