भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पहचान का संकट / तेज राम शर्मा

1,729 bytes added, 07:26, 4 फ़रवरी 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तेज राम शर्मा |संग्रह=बंदनवार / तेज राम शर्मा}} [[Cate...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=तेज राम शर्मा
|संग्रह=बंदनवार / तेज राम शर्मा}}
[[Category:कविता]]
<poem>
अपनी पहचान बनाने
पेड़ घूम रहा है जंगल-जंगल

कहीं से लेता है
फूल कहीं से रंग-बिरंगी पत्तियाँ
लताओं बेलों से लैस
छुपाता फिरता है
छाल के नीचे
जड़ होते अपने शरीर को


पेड़ ललचाई आँखों से
देखता है इन्द्रधनुष को
किश्तियों की तरह
इतराता है वह
समय के ज्वार शिखर पर
वही नहीं चाहता कि
जड़ें खींचें उसे
संबंधों के दलदल में

पहचान के संकट में दिग्भ्रमित पेड़
जंगल से बहुत दूर
मरुस्थल की रेत को
दिखाएगा सपने
रेत में चलते हुए जब
लड़खड़ाएंगे पाँव
पेड़ पैरों के नीचे
टटोलता फिरेगा अपनी जड़ें
पृथ्वी के गर्भ में
निष्प्राण होती जड़ें
कसे हुए हैं मिट्टी को
उन्हें अभी भी इंतजार है
उसकी वापसी का।
</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits