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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव }} <poem> ...
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{{KKRachna
|रचनाकार=केशव
|संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव
}}
<poem>
बहुत दूर तक नहीं जाती
जाती है जहां तक भी
हर चीज को उसकी
पहचान दिलाती
कोई अंधेरा
नहीं छीन सकता
उसका यह अधिकार
हो कितना भी गहरा
न खोजती है
न टटोलती
अपने दायरे में
आने वाली हर चीज
चुपके से उठा
धर देती है
हथेलियों पर
फिर उससे हम खेलें
या रख लें किसी चोर जेब में
इससे नहीं उसका वास्ता
उसका वास्ता
सिर्फ पहचान करवाने का है
थोपने का नहीं।
</poem>
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|रचनाकार=केशव
|संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव
}}
<poem>
बहुत दूर तक नहीं जाती
जाती है जहां तक भी
हर चीज को उसकी
पहचान दिलाती
कोई अंधेरा
नहीं छीन सकता
उसका यह अधिकार
हो कितना भी गहरा
न खोजती है
न टटोलती
अपने दायरे में
आने वाली हर चीज
चुपके से उठा
धर देती है
हथेलियों पर
फिर उससे हम खेलें
या रख लें किसी चोर जेब में
इससे नहीं उसका वास्ता
उसका वास्ता
सिर्फ पहचान करवाने का है
थोपने का नहीं।
</poem>