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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव }} <poem> ...
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|रचनाकार=केशव
|संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव
}}
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कभी
काटे नहीं कटती
कभी
कट जाती
देखते
देखते
दहलीज़ के इस ओर
सुबह
उस ओर
शाम
बीच में पसरी
एक लम्बी दोपहर।
</poem>
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|रचनाकार=केशव
|संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव
}}
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कभी
काटे नहीं कटती
कभी
कट जाती
देखते
देखते
दहलीज़ के इस ओर
सुबह
उस ओर
शाम
बीच में पसरी
एक लम्बी दोपहर।
</poem>