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लेखिका: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=महादेवी वर्मा]][[Category:कविताएँ]][[Category:|संग्रह=नीहार / महादेवी वर्मा]]}}<poem>इस एक बूँद आँसू मेंचाहे साम्राज्य बहा दो,वरदानों की वर्षा सेयह सूनापन बिखरा दो;
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~इच्छाओं की कम्पन सेसोता एकान्त जगा दो,आशा की मुस्काहट परमेरा नैराश्य लुटा दो ।
इस एक बूँद आँसू चाहे जर्जर तारों में<br>चाहे साम्राज्य बहा अपना मानस उलझा दो<br>,वरदानों की वर्षा से<br>इन पलकों के प्यालो मेंयह सूनापन बिखरा सुख का आसव छलका दो<br><br>;
इच्छाओं की कम्पन से<br>मेरे बिखरे प्राणों मेंसोता एकान्त जगा सारी करुणा ढुलका दो,<br>आशा की मुस्कराहट पर<br>मेरी छोटी सीमा मेंमेरा नैराश्य लुटा अपना अस्तित्व मिटा दो ।<br><br>!
चाहे जर्जर तारों में<br>पर शेष नहीं होगी यहअपना मानस उलझा दोमेरे प्राणों की क्रीड़ा,<br>इन पलकों के प्यालो तुमको पीड़ा में<br>ढूँढासुख का आसव छलका दो<br><br>तुम में ढूँढूँगी पीड़ा!
मेरे बिखरे प्राणों में<br>सारी करुणा ढुलका दो,<br>मेरी छोटी सीमा में<br>अपना अस्तित्व मिटा दो !<br><br> पर शेष नहीं होगी यह<br>मेरे प्राणों की क्रीड़ा,<br>तुमको पीड़ा में ढूँढा<br>तुम में ढूँढूँगी पीड़ा !<br><br/poem>
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