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Kavita Kosh से
एक आदमी <br /> अचानक ताली बजाकर शब्द करता है<br />क्योंकि पत्थर को देख उसे डर लगता है<br />उसे डर लगता है<br />कि कहीं स्वयं वह पत्थर तो नहीं ! <br /><br />
आदमी और पत्थर<br />यदि भर लेंगे एक दूसरे को बांहों में<br />तो उससे पैदा होगी आग !<br />इसीलिए डरता है आदमी<br />आदमी को देखकर<br />
वह घने जंगलों में जाता है<br />पर नहीं डरता<br />वहां वह देखता है बाघ के पंजों के निशान<br />पर वे उसे लगते हैं<br />लक्ष्मी के पैरों की छाप की तरह शुभ<br />पर आदमी को डर लगता है<br />धूप से,अगरबत्ती की गंध से<br />आदमी को डर लगता है<br />आदमी से !<br />
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