भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सपने / रंजना भाटिया

3 bytes added, 13:53, 12 फ़रवरी 2009
बस यूँ ही
आँखो आँखों में
उतर आते हैं
कभी ना सच होने के लिए !
</poem>