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{{KKRachna
|रचनाकार=अमृता प्रीतम
|संग्रह=
}}
[[Category:कविता]]
<poem>
मेरी सेज हाजिर है
पर जूते और कमीज की तरह
तू अपना बदन भी उतार दे
उधर मूढ़े पर रख दे
कोई खास बात नहीं
बस अपने अपने देश का रिवाज है……
</poem>
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|रचनाकार=अमृता प्रीतम
|संग्रह=
}}
[[Category:कविता]]
<poem>
मेरी सेज हाजिर है
पर जूते और कमीज की तरह
तू अपना बदन भी उतार दे
उधर मूढ़े पर रख दे
कोई खास बात नहीं
बस अपने अपने देश का रिवाज है……
</poem>
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