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Kavita Kosh से
जब मैं तेरा गीत लिखने लगी
काग़ज़ के उपर ऊपर उभर आयींआईं
केसर की लकीरें
सूरज ने आज मेहंदी घोली
हथेलियों पर रंग गयीगई,हमारी दोनो दोनों की तकदीरें
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