भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=बशीर बद्र]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:बशीर बद्र]]<poem>भूल शायद बहुत बड़ी कर लीदिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~तुम मुहब्बत को खेल कहते होहम ने बर्बाद ज़िन्दगी कर ली
भूल शायद बहुत उस ने देखा बड़ी कर ली <br>इनायत सेदिल ने दुनिया से दोस्ती आँखों आँखों में बात भी कर ली <br><br>
तुम मुहब्बत को खेल कहते हो <br>आशिक़ी में बहुत ज़रूरी हैहम ने बर्बाद ज़िन्दगी बेवफ़ाई कभी कभी कर ली <br><br>
उस हम नहीं जानते चिराग़ों ने देखा बड़ी इनायत से <br>आँखों आँखों में बात भी क्यों अंधेरों से दोस्ती कर ली <br><br>
आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है <br>बेवफ़ाई कभी कभी कर ली <br><br> हम नहीं जानते चिराग़ों ने <br>क्यों अंधेरों से दोस्ती कर ली <br><br> धड़कनें दफ़्न हो गई होंगी <br>दिल में दीवार क्यों खड़ी कर ली <br><br/poem>