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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=बशीर बद्र]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:बशीर बद्र]]<poem>ये चिराग़ बेनज़र है ये सितारा बेज़ुबाँ हैअभी तुझसे मिलता जुलता कोई दूसरा कहाँ है
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~वही शख़्स जिसपे अपने दिल-ओ-जाँ निसार कर दूँवो अगर ख़फ़ा नहीं है तो ज़रूर बदगुमाँ है
कभी पा के तुझको खोना कभी खो के तुझको पानाये चिराग़ बेनज़र है ये सितारा बेज़ुबाँ है <br>अभी तुझसे मिलता जुलता कोई दूसरा कहाँ जनम जनम का रिश्ता तेरे मेरे दरमियाँ है <br><br>
वही शख़्स जिसपे अपने दिल-ओ-जाँ निसार कर दूँ <br>मेरे साथ चलनेवाले तुझे क्या मिला सफ़र मेंवो अगर ख़फ़ा नहीं वही दुख भरी ज़मीं है तो ज़रूर बदगुमाँ वही ग़म का आस्माँ है <br><br>
कभी पा के तुझको खोना कभी खो के तुझको पाना मैं इसी गुमाँ में बरसों बड़ा मुत्मईन<brref>संतुष्ट</ref> रहा हूँये जनम जनम का रिश्ता तेरे मेरे दरमियाँ तेरा जिस्म बेतग़ैय्युर<ref>जो बदले नहीं</ref> है मेरा प्यार जाविदाँ<brref>अमर<br/ref>है
उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे साथ चलनेवाले तुझे क्या मिला सफ़र में <br>वही दुख भरी ज़मीं है वही ग़म का आस्माँ मुझे रोक रोक पूछा तेरा हमसफ़र कहाँ है <br><br>
मैं इसी गुमाँ में बरसों बड़ा मुत्मइन रहा हूँ <br>{{KKMeaning}}तेरा जिस्म बेतग़ैय्युर है मेरा प्यार जाविदाँ है <br><br> उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे <br>मुझे रोक रोक पूछा तेरा हमसफ़र कहाँ है<br><br><br> मुत्मईन=संतुष्ट ; बेतग़ैय्युर=जो बदले नहीं ; जाविदाँ=अमर<br><br/poem>