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शबनम के आँसू फूल पर / बशीर बद्र

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=बशीर बद्र]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:बशीर बद्र]]<poem>शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआआँखें मेरी भीगी हुईं चेहरा तेरा उतरा हुआ
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~अब इन दिनों मेरी ग़ज़ल ख़ुश्बू की इक तस्वीर हैहर लफ़्ज़ गुंचे की तरह खिल कर तेरा चेहरा हुआ
शबनम मंदिर गये मस्जिद गये पीरों फ़कीरों से मिलेइक उस को पाने के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ <br>आँखें मेरी भीगी हुईं चेहरा तेरा उतरा लिये क्या क्या किया क्या क्या हुआ <br><br>
अब इन शायद इसे भी ले गये अच्छे दिनों मेरी ग़ज़ल ख़ुश्बू की इक तस्वीर है <br>के क़ाफ़िलेहर लफ़्ज़ गुंचे की इस बाग़ में इक फूल था तेरी तरह खिल कर तेरा चेहरा हँसता हुआ <br><br>
मंदिर गये मस्जिद गये पीरों फ़कीरों से मिले <br>इक उस को पाने के लिये क्या क्या किया क्या क्या हुआ <br><br> शायद इसे भी ले गये अच्छे दिनों के क़ाफ़िले <br>इस बाग़ में इक फूल था तेरी तरह हँसता हुआ <br><br> अनमोल मोती प्यार के, दुनिया चुरा के ले गई <br>दिल की हवेली का कोई दरवाज़ा था टूटा हुआ <br><br/poem>