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{{KKRachna
|रचनाकार=सुधा ओम ढींगरा
}}
<poem>
किरणों के फावड़ों से
सूर्य ने
सारी खुदाई
खोद डाली.
रात उतरी
मेढ़ से औ'
चाँद तारे
बो गई.
</poem>
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|रचनाकार=सुधा ओम ढींगरा
}}
<poem>
किरणों के फावड़ों से
सूर्य ने
सारी खुदाई
खोद डाली.
रात उतरी
मेढ़ से औ'
चाँद तारे
बो गई.
</poem>