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ख़त / केशव

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|संग्रह=ओ पवित्र नदी / केशव
}}
[[Category:कविता]]
<Poem>
बहुत दिनों से
ख़त नहीं आया
:: शहर से
पिछला ख़त
कितनी-कितनी बार पढ़वाया
और रख दिया
दीये की जगह
:: आले में
अम्मा ने
अम्मा का चेहरा
चेहरे में गलता हुआ
::वक्त
वक्त के ढूह पर
एकमात्र मोटर से उतरनेवाला
हर चेहरा
::पैग़ाम लगता है
शहर में खोये हुए बेटे का
और जिसकी सूनी आँखों में
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