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Kavita Kosh से
*[[नज़र फ़रेब-ए-कज़ा खा गई तो क्या होगा / अहसान बिन 'दानिश' ]]
*[[पुरसिश-ए-ग़म का शुक्रिया, क्या तुझे आगही नहीं / अहसान बिन 'दानिश' ]]
*[[सिर्फ़ अश्क-ओ-तबस्सुम में उलझे रहे / अहसान बिन 'दानिश' ]]