भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
जब समय
मेरा साथ नहीं दे रहा था
वे हो सकते हैं
उत्तेजक और अमीर
भटक कर दिखाएं वे
एक पूरा दिन भी
एक ऐसे समय में
जब प्रेम करना
जब तुम्हे खुद अपना दिल
संभालना मुश्किल हो रहा था
तुम्हारे सांवले रंग में
गहराती शाम का झुटपुटा होता था हमेशा
मैं एक पेड़ की तरह होता था जहां
अंधेरे में खोता हुआ
एक ऐसे समय में
ज्ब आगे बढ़ने के करतब