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Kavita Kosh से
ये क्या जादू किया है आपने सरकार चुटकी में
बड़े फ़रमा गए, यूँ देखिये तस्वीरे-जाना जानाँ को,
ज़रा गर्दन झुकाकर कीजिये दीदार चुटकी में
वो आकर दे गया मुझको नया आकार चुटकी में
जो मेरे ज़हन ज़ेह्न में रहता था गुमगश्ता किताबों-सामुझे पढ़कर हुआ वो सुबह का अखबार अख़बार चुटकी में
कभी बरसों बरस दो काफ़िये तक जुड़ नहीं पाते
कभी होने को होते हैं कई अश'आर चुटकी में
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