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{{KKBhaktiKavya|रचनाकार=KKGlobal}}{{KKBhajan}}<poem>जानकी नाथ सहाय करेंजानकी नाथ सहाय करें जब कौन बिगाड़ करे नर तेरो ॥
जानकी नाथ सहाय करें<br>जानकी नाथ सहाय करें जब कौन बिगाड़ करे नर सुरज मंगल सोम भृगु सुत बुध और गुरु वरदायक तेरो ।राहु केतु की नाहिं गम्यता संग शनीचर होत हुचेरो ॥<br><br>
सुरज मंगल सोम भृगु सुत बुध और गुरु वरदायक तेरो दुष्ट दु:शासन विमल द्रौपदी चीर उतार कुमंतर प्रेरो ।<br>राहु केतु की नाहिं गम्यता संग शनीचर होत हुचेरो ताकी सहाय करी करुणानिधि बढ़ गये चीर के भार घनेरो ॥<br><br>
दुष्ट दु:शासन विमल द्रौपदी चीर उतार कुमंतर प्रेरो ।<br>ताकी सहाय करी करुणानिधि बढ़ गये चीर के भार घनेरो ॥<br><br> जाकी सहाय करी करुणानिधि ताके जगत में भाग बढ़े रो ।<br>
रघुवंशी संतन सुखदायी तुलसीदास चरनन को चेरो ॥
</poem>