भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह= }} <Poem> पूज पाया जो नहीं इंसा...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=
}}
<Poem>
पूज पाया जो नहीं इंसान को!
पूज पायेगा कहाँ भगवान् को??
दूसरों का हक़ दबाना चाहते
पूजते हैं लोग वे शैतान को!!
पूज्य हैं सबसे प्रथम माता-पिता,
सीखना यह चाहिए संतान को!!
देश में राजा भले पुजते रहें,
पूजती दुनिया मगर विद्वान् को!!
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=
}}
<Poem>
पूज पाया जो नहीं इंसान को!
पूज पायेगा कहाँ भगवान् को??
दूसरों का हक़ दबाना चाहते
पूजते हैं लोग वे शैतान को!!
पूज्य हैं सबसे प्रथम माता-पिता,
सीखना यह चाहिए संतान को!!
देश में राजा भले पुजते रहें,
पूजती दुनिया मगर विद्वान् को!!
</poem>