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हम सब / विष्णु नागर

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हम सब जहाँ से होते हुए जायेंगे
वहाँ कुछ देर अपनी गठरियाँ रखेंगे
तम्बाकू खायेंगे।
हम जहाँ -जहाँ जायेंगे
गठरियाँ रखेंगे
तम्बाकू खायेंगे।
</poem>
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