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|रचनाकार=प्रेम नारायण ’पंकिल’'पंकिल'}}{{KKPageNavigation|पीछे=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' पृष्ठ 13|आगे=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल' पृष्ठ 15|सारणी=मुरली तेरा मुरलीधर / प्रेम नारायण 'पंकिल'
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अगणित जन्मों की ले दारुण कर्मश्रृंखलायें मधुकर
जब जो भी दीखता उसी से व्याकुल पूछ रहा निर्झर