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|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर"}}{{KKPageNavigation|पीछे=रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 6|आगे=रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 8|संग्रहसारणी= रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर"
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'हाय, कर्ण, तू क्यों जन्मा था? जन्मा तो क्यों वीर हुआ?
बिना उठाये पाँव शत्रु को कर्ण नहीं पा सकता था।
 
 
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