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|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर" }}{{KKPageNavigation|पीछे=रश्मिरथी / चतुर्थ सर्ग / भाग 3|आगे=रश्मिरथी / चतुर्थ सर्ग / भाग 5|संग्रहसारणी= रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर"
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सहम गया सुन शपथ कर्ण की, हृदय विप्र का डोला,
किस आपत्ति-गर्त में उसने मुझको नही धकेला?
 
 
 
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