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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>वो जिसकी दीद में लाखों मस्सरतें पिन्हां
वो हुस्न जिसकी तमन्ना मे में जन्नतें पिन्हां
हज़ार फित्ने तहे-पा-ए-नाज़ खाकनशीं
हर एक निगाह खुमारे-शबाब से रंगीं
शबाब, जिससे तखय्युल पे बिजलियां बिजलियाँ बरसेंविक़ार जिसकी रक़ाबत को शोखियां शोखियाँ तरसें
अदा-ए-लग्ज़िशे-पा पर क़यामतें क़ुर्बां
ज़बाने-शेर को तारीफ करते शर्म आये
वो होंठ फ़ैज़ से जिनके बहारेबहार-ए-लालाफरोशबहिश्तोबहिश्त-ओ-कौसर-ओ-कौसरोतसनीम-तसनीमो-सलसबील ब-दोश
गुदाज़-जिस्म, क़बा जिस पे सज के नाज़ करे
दराज़ क़द जिसे सर्वे-सही नमाज़ करे
गरज़ वो हुस्न जो मोहताज़ेमोहताज़-वस्फोए-वस्फ-ओ-नाम नहींवो हुस्न जिसक जिसका तस्सवुर बशर का काम नहीं
किसी ज़माने में इस रहगुज़र से गुज़रा था
ब-सद-गुरूरो-तजम्मुल इधर से गुज़रा था
और अब ये राहगुज़र भी है दिलफरेबोदिलफरेब-ओ-हसींहै इसकी खाक मे कैफेकैफ-ए-शराब-शराबो-शेर मक़ीं
हवा मे शोखी-ए-रफ्तार की अदाएं हैं
गरज़ वो हुस्न अब इस जा का जुज्वे-मन्ज़र है
नियाज़ेनियाज़-ए-इश्क़ को इक सिज्दागह मयस्सर है
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