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''संसार''
सागर के इस पार
सोच रही हूँ,कहाँ है भिन्नता
यह ही है तकरार
जाना तो है सबको एक जगह
न कर भाई इंकार
येहीं पर है, सबका क्रीडांगन
अलग नहीं है,यह संसार'