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|रचनाकार=प्रेम नारायण ’पंकिल’ 'पंकिल'
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भेंट सच्चिदानन्द ईश को मुक्त प्रभंजन में मधुकर
सत निर्मल आकाश पवन चित नित तेजानन्द सतत निर्झर
हीरा जीवन राख कर दिया बना कीच पंकिल पगले
टेर रहा है ब्रह्मविहरिणी मुरली तेरा मुरलीधर।।140।।
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