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अनाज
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मेरी आशिक़ हैं किसानों की हसीं कन्याएँ
जिनके आँचल ने महब्बत से उठाया मुझको
ख़ाक-दर-ख़ाक हर-इक तह में टटोला लेकिन
मौत के ढूँढ़ते हाथों ने न पाया मुझको
ख़ाक से लेके उठा मुझको मिरा ज़ौके़-नुमू१नुमू<ref>विकसित होने का आनन्द</ref>
सब्ज़ कोंपल ने हथेली में छुपाया मुझको
मौत से दूर मगर मौत की इक नींद के बाद
अपने झूले में हवाओं ने झुलाय मुझको
मैं रकाबी में, प्यालों में महक सकता हूँ
चाहिए बस लबो-रुख़सार२ रुख़सार<ref>होंठ और गाल</ref> का साया मुझको
मेरी आ़शिक़ हैं किसानों की हसीं कन्याएँ
क्या हुए आज मेरे नाज़ उठानेवाले
है कहाँ क़ैदे-गुलामी से छुड़ानेवाले
-------------------------------------------------१.विकसित होने का आनन्द २.होंठ और गाल</poem>{{KKMeaning}}