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}}
{{KKCatKavita}}<poem>बहुत दिनों में आज मिली है<br>साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।<br><br>तुम।
पेड खडे फैलाए बाँहें<br>लौट रहे घर को चरवाहे<br>यह गोधुली, साथ नहीं हो तुम,<br><br>
बहुत दिनों में आज मिली है<br>साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।<br><br>तुम।
कुलबुल कुलबुल नीडनीड़-नीड नीड़ में<br>चहचह चहचह मीडमीड़-मीड मीड़ में<br>धुन अलबेली, साथ नहीं हो तुम,<br><br>
बहुत दिनों में आज मिली है<br>साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।<br><br>तुम।
जागी-जागी सोई-सोई<br>पास पडी है खोई-खोई<br>निशा लजीली, साथ नहीं हो तुम,<br><br>
बहुत दिनों में आज मिली है<br>साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।<br><br>तुम।
ऊँचे स्वर से गाते निर्झर<br>उमडी धारा, जैसी मुझपर-<br>बीती झेली, साथ नहीं हो तुम,<br><br>
बहुत दिनों में आज मिली है<br>साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।<br><br>तुम।
यह कैसी होनी-अनहोनी<br>पुतली-पुतली आँख मिचौनी<br>खुलकर खेली, साथ नहीं हो तुम,<br><br>
बहुत दिनों में आज मिली है<br>साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम ।<br><br>तुम।
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