भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद नारायण मुल्ला |संग्रह= }} सफ़-ए-अव्वाल से फ़...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आनंद नारायण मुल्ला
|संग्रह=
}}


सफ़-ए-अव्वाल से फ़क्त एक ही मयक्वार उठा ।
कितनी सुनासान है तेरी महफ़िल साकी ।।


ख़त्म हो जाए न कहीं शुशबू भी फूलों के साथ,

यही खुशबू तो है इस बज़्म का हासिल साखी ।
Mover, Uploader
752
edits