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Kavita Kosh से
"एक सी दयालुता के साथ
सारे मृतकों का स्वागत करती है धरती
लेकिन आक्रान्ता महसूस करता है
कि उसका मकबरा हमेशा के लिए आराम करने के हिसाब से
थोड़ा ज़्यादा ही अंधेरा और संकरा है.
निरपराध आदमी वापस पाता है अपनी मुस्कान
जैसे कोई नवजात अपनी माता की बांहों में."