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{{KKRachna
|रचनाकार=जोश मलीहाबादी
}}<poem>
किसने वादा किया है आने का
हुस्न देखो ग़रीब ख़ाने का
आज घर, घर बना है पहली बार
दिल में हैख़ुश है ख़ुश सलीक़गी बेदार
जमा समाँ है ऐश-ओ-इश्रत का
सोज़-ए-क़ल्ब-ए-कलीम आँकों आँखों में
अश्क-ए-उम्मीद-ओ-बीम आँखों में
चश्म-बर-राह-ए-शौक़ के मारे
चांद के इन्तज़ार में तारे