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मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,<br>
ऐसे मधु के दीवानों को आज बुलाती मधुशाला।।१६।<br><br>
== धर्मग्रन्थ सब जला चुकी है, जिसके अंतर की ज्वाला,<br>==
मंदिर, मसजिद, गिरिजे, सब को तोड़ चुका जो मतवाला,<br>
पंडित, मोमिन, पादिरयों के फंदों को जो काट चुका,<br>
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