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कवि: [[कुमार रवींद्र]]
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:गीत]]
[[Category:कुमार रवींद्र]]
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मूर्तिवाला शारदे को
कलमुंही तू दो टके कीक्यों गई थी कार में
पर्व वाले दिन
तू फ़कीरों कबीरों के वंश की संतान है
साहबों की साज़ साज सज्जाके लिए सामान है
और टाले दिन
क्या करें ऊंचे पदों ने पद दलित कर छंद सारे
मार डाले दिन
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