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ढीठ चांदनी / धर्मवीर भारती

No change in size, 19:48, 12 जुलाई 2009
ठंडी-ठंडी छत पर
लिपट-लिपट जाती है
विह्वल मामाती मदमाती है
बावरिया बिना बात?
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