भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत | संग्रह=शब्दों के संपुट में / ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
| रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत
| संग्रह=शब्दों के संपुट में / ओमप्रकाश सारस्वत
}}
<poem>मैंने बाला है
इच्छा का दीप
तुम्हारे पथ में उजियारा हो

हम इच्छा ही कर सकते
सुख की अभिलाषा की
बरना कोई-कौन
किसी का क्या कर सकता

जग में नित
मंगल-इच्छाओं के
दीपक जलते
अग्नि-पुत्र वे
मन के अंध-तमस् लोकों में
सूरज बन बलते

इसीलिए
मैंने बाला है
इच्छा का दीप
तुम्हारे पथ में उजियारा हो

वह दीपक
जो मैंने
सालों-साल सहेजा
सौंप दिया लो
आज अभी से
वह,प्रिय के तुम्हारा हो</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits