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नहीं बाँटूंगा
गर्दन भी काटूंगा
केवल घास नहीं काटूंगाकाटूंगा।
::निम्बू जैसा ही निचोड़ कर
::पिया हमारा ख़ून
::मज़हब के मज़मून
बाँटूंगा हर ज़ख़्म
फ़कत अहसास नहीं बाँटूंगा।::उपजाऊ धरती पर::उसने ही खींचा मेड़::और उसी के कब्ज़े में है::जंगल का हर पेड़बाँटूंगा अंधियारामहज प्रकाश नहीं बाँटूंगा।::फूलों की चमड़ि उदार::तितली की काटी पाँख::चालाकी से छीनी है::उसने कुणाल की आँखबदलूंगा भूगोलसिर्फ़ इतिहास नहीं बाँटूंगा::अगर नीम के पत्तों का::तीखापन::जाए जाग::टैंक, मिसाइल, बम को::लीलेगी भूसी की आगगोलबंद हो रहीहवा उन्चास नहीं बाँटूंगाकाटूंगा गर्दन भीकेवल घास नहीं काटूंगा।
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