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Kavita Kosh से
सबको आता नहीं दुनिया को सजाकर जीना <br>
ज़िन्दगी क्या हैं है मुहब्बत की ज़बां से सुनिये सुनिए
क्या ज़रूरी है कि हर पर्दा उठाया जाये जाए <br>मेरे हालात भी अपने ही मकाँ से सुनिये सुनिए
मेरी आवाज़ ही पर्दा हैं है मेरे चेहरे का <br>मैं हूँ ख़ामोश जहाँ , मुझको वहाँ से सुनिये सुनिए
कौन पढ़ सकता हैं पानी पे लिखी तहरीरें <br>
किसने क्या लिक्ख़ा हैं ये आब-ए-रवाँ से सुनियेसुनिए